कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने उठाया बड़ा मुद्दा सोयाबीन की कम दामों से किसानों को भारी नुकसान,केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार, सोयाबीन समर्थन मूल्य को 6000 रु प्रति क्विंटल करने की मांग

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खराब तेल के आयात से नागरिकों को स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा

नीमच। सोयाबीन फसल के कम दामों से किसान परेशान है। वर्तमान सोयाबीन फसल के दामों से किसानों का लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा। केंद्र सरकार की सोयाबीन तेल की आयात नीतियों से किसानों को सोयाबीन के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं,जबकि सोयाबीन की उत्पादन लागत 5000 रूपए प्रति क्विटल पहुंच चुकी है। इधर वर्तमान में मंडी मेंं सोयबीन की स्थिति देखे तो सोयाबीन 3500 -4000 रूपए क्विटल भाव ही किसानों को मिल रहे हैं, जिसके कारण किसानों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंच रहा है। मुख्य बात यह भी है की केंद्र सरकार विदेशों से सोयाबीन का जीएमओ तेल मंगवाकर देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ भी बड़ा खिलवाड़ कर रही है ।
यह मुद्दा कांग्रेस नेता व जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने किसानों के हक में उठाया है । उन्होंने बताया कि वर्तमान में सोयाबीन की कम हुई कीमतों से किसानों को प्रति वर्ष बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है । खरीफ की मुख्य फसल होने ने बाद भी किसानों की लागत तक नहीं निकल रही। सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 प्रति क्विंटल घोषित कर रखा है जबकि कृषि मंडी में सोयाबीन 3500-4000 रु क्विंटल बिक रही है। बाहेती ने बताया कि कभी 10000 रु क्विंटल तक बिकने वाली सोयाबीन पिछले 10 वर्षों के न्यूनतम भाव पर सोयाबीन बिक रही है जिसका मुख्य कारण केंद्र सरकार की नीतियां है । केंद्र सरकार देश में खपत होने वाली मात्रा का 60 फीसदी सोयाबीन तेल विदेश से मंगवा रही है लेकिन केंद्र सरकार देश के किसानों के हित का ध्यान नहीं रख रही है। सरकार अगर आयात पर टेक्स ही बढ़ा दे तो किसानों को सोयाबीन का उचित दाम मिलने लगेगा। बाहेती ने कहा की इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि जिस तेजी से महंगाई बढी है और कृषि उत्पादन महंगा हुआ है, उस तेजी से कृषि उपज के भाव नहीं बढे और न ही केंद्र सरकार ने एमएसपी की दरों में इजाफा किया है। बाहेती ने कहा कि सोयाबीन की फसल के दाम कम होने के बावजूद भी सोयाबीन तेल के दाम कम नहीं है वह आज भी 100 रुपए किलो बाजार में बिक रहा है जबकि सोयाबीन के भाव में 40 रुपए किलो ही है। बाहेती ने मांग करी की वर्तमान में किसानों को राहत देने के लिए सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी करनी चाहिए।
महंगाई बढी पर नहीं बढे दाम-
श्री बाहेती ने कहा कि बीते 11 साल में महंगाई दो गुना हो चुकी है, जिसका असर सीधे तौर पर सोयाबीन समेत अन्य कृषि जिंसों के उत्पादन पर पड़ा है। पिछले 10 वर्ष पूर्व सोयाबीन के दाम 4500 रु क्विंटल थे और लागत 2 हजार रु क्विंटल थी। श्री बाहेती ने बताया कि बीते 11 साल में डीजल के दामों में 220 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 42 रु से 92 रूपए डीजल के दाम पहुंच चुके हैं,खाद के भाव 600 से 1450 रूपए हो चुके हैं। कीटनाशक के दामों में 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हर्बिसाइड के भाव में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई, पर सोयाबीन के दाम बीते 11-12 साल में बढने के बजाए नीचे आए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने सोयाबीन के समर्थन मूल्य के दाम भी भी नहीं बढ़ाऐ है।
6 हजार रूपए क्विटल मिले सोयाबीन के दाम-
श्री बाहेती ने कहा कि केंद्र सरकार को सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रु प्रति क्विंटल से बढाकर 6000 रु प्रति क्विंटल करना चाहिए जिससे किसानों को राहत मिले। बाहेती ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कहा था की सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रूपए प्रति क्विटल होना चाहिए। अब जब वह सरकार में है तो शीघ्र किसानों को राहत प्रदान करने के लिए 6000 समर्थन मूल्य घोषित करें। श्री बाहेती ने कहा कि सोयाबीन उपज के दाम गिरने का सबसे बड़ा कारण केंद्र सरकार ने पाम आयल की इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी है,इससे देश में सोयाबीन तेल के दामों में भी गिरावट दर्ज हुई जिससे पूरी तरह किसानों को नुकसान हो रहा है।
केंद्र सरकार कर रही है देश की जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़
कांग्रेस नेता व जिला पंचायत सदस्य तरूणण बाहेती ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार सोयाबीन तेल के नाम पर पूरे देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है। केंद्र सरकार अमेरिका एवं यूरोप से सोयाबीन के बम्पर उत्पादन के लिए तैयार हाईब्रीड जीएमओ बीज से उत्पादन की हुई फसल का सोयाबीन तेल भारत में आयात कर रही है, जबकि इसी जीएमओ सोयाबीन फसल का तेल अमेरिका और यूरोप में खाने पर पूर्ण प्रतिबंध है क्योंकि जीएमओ सोयाबीन तेल स्वास्थ्य के लिए घातक है और इससे लिवर कैंसर, हार्ड डिजिज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है और यही अमेरिका यूरोप से आया हुआ जीएमओ सोयाबीन तेल हम खाद्य पदार्थ के रूप में खा रहे हैं । जो हमारी खपत का 60 फिसदी सरकार आयात कर रही है । बाहेती ने कहा कि कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर जीएमओ तेल खाने के नुकसान की जानकारी सर्च करें तो जानकारी पाकर आंखें खुली रह जाएगी की जिस तेल को विदेश से मंगवाकर केंद्र सरकार हमें खिला रही है वह तेल हमारे लिए कितना नुकसानदायक है। जबकि भारत में किसानों का तैयार किया हुआ देशी सोयाबीन बीज का तेल कभी नुकसानदायक नहीं होता। अमेरिका और ब्राजील में खाने के लिए सोयाबीन तेल का अलग से उत्पादन होता है जो जीएमओ बीज का नहीं होता है । कुल मिलाकर हम जीएमओ सोयाबीन बीज का खराब तेल हम खा रहे हैं और वह अच्छा तेल खा रहे हैं ।बाहेती ने कहा की सरकार सोयाबीन तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध कर किसानों को राहत प्रदान करें एवं वर्तमान में समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की सरकारी खरीद करें।

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