गौवंश उपचार शाला के लिए जमीन मिली न जनप्रतिनिधियों का साथ, नतीजा उपचार शाला बंद, अब लें गये गंभीर बिमारी से ग्रसीत गो माता को बालाजी नंदी गौधाम

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रिपोर्ट-सुनील माली

सरवानियां महाराज। गंभीर रोग इंसानों के साथ साथ अब मवेशियों में भी होने लगा है। एक गाय को मस्तिष्क के उपरी हिस्से में गंभीर रोग केसंर की शिकायत है और हाल फिलहाल उसका उपचार बालाजी नंदी धाम (गो वंश उपचार) केन्द्र नीमच पर चल रहा है। इस गाय माता को गंभीर बिमारी की अवस्था में ग्राम आंकली की तरफ़ से विचरण करने के दौरान सुचना पर बालाजी नंदी धाम ले जाया गया था।
गौ रक्षा दल जावद तहसील ईकाई अध्यक्ष रुपलाल पाटीदार ने बताया कि उक्त गंभीर बिमारी से ग्रसीत गो वंश का उपचार गौ सेवा उपचार केंद्र सरवानिया महाराज पर पिछले चार माह से किया जा रहा था, प्रतिदिन गौ माता के घाव पर दवाई सूखने के इंजेक्शन तथा ड्रेसिंग करते थे। किंतु गौ वंश का घाव गंभीर बिमारी केंसर के चलते दिन प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा था, जिससे से गौ वंश के घाव से सड़न भरी बदबू आने लगी जिससे आस पास गली मोहल्ले में डर का माहौल तथा संक्रमण फैलने की दृष्टि से उस गो माता का रहवासी गली वाले उपचार केन्द्र पर उपचार संभव नहीं हो सकता था। जिसके चलते गौ रक्षा कर रहे गौ भक्तों को इसके अतिरिक्त भूमि नहीं मिलने से और नगर में किसी भी जन प्रतिनिधी का सहयोग नहीं मिलने के कारण गौ सेवा उपचार केंद्र बंद कर दिया गया तथा उक्त गौ वंश को उपचार शाला से छोड़ दिया गया। पीड़ित गो माता को अत्यधिक पीड़ा होने के कारण वो प्रतिदिन सरवानिया से आकली रोड़ की तरफ घूम रही थी। गो रक्षा दल के सदस्य कृष्ण पाल सिंह पवार एवं समस्त पंवार परिवार आंकली ने कैंसर पीड़ित गौ माता को बालाजी नदी धाम उपचार केंद्र नीमच पहुंचाया गया जहां पर गोवंश का उचित इलाज किया जा रहा है। हालांकि पीड़ित गो वंश की सुचना पर गो रक्षा दल सरवानियां के सदस्य पहुंच कर मूक पशुओं की चिकित्सा एवं उपचार करते हैं। यह बात दीगर है कि उपचार शाला बंद है।

दिखावे की राजनीति करते हैं जनप्रतिनिधि

गौ भक्त महेश राठौर ने बताया कि प्रदेश के मुखिया मोहन यादव द्वारा अपने 1 वर्ष के कार्यकाल पूर्ण होने पर अपनी निजी गौशाला में गौ माता की सेवा कर आशीर्वाद लिया तथा गौ वंश बचाने ओर उनकी सुध लेने के लिए संकल्प लिया, किंतु उनके विधायक या जनप्रतिनिधि गौ वंश के नाम पर केवल दिखावा करते हैं। ऐसा ही हाल शहर के जनप्रतिनिधियों का भी है। गो माता को वोट की राजनीति में तो याद रखते हैं लेकिन असल जिंदगी में गौ वंश से इन जनप्रतिनिधियों का कोई मतलब नहीं है।

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