रिपोर्ट- सुनील माली
सरवानिया महाराज। नगर सरवानिया महाराज जब ग्राम था, गांव में ग्राम पंचायत हुआ करती थी, गांव से नगर बना एवं नगर परिषद का गठन हुआ तब नगर की जनता को एक आशा व विश्वास था कि नगर परिषद बनने के बाद नगर कि आम जनता को मूलभूत सुविधाये उपलब्ध होंगी और नगर परिषद की सख्त कानून व्यवस्था के चलते भ्रष्टाचार नहीं होगा। नगर परिषद बनने बाद सरवानिया महाराज में नगर की जनता के आशानुरूप कुछ विकास निश्चित हुआ है, इसमें कोई दो राय नही, नगर के वार्ड नंबर 14 में जावी रोड़ के पास ग्राम पंचायत के समय का स्टाप डेम बना हुआ है। ग्राम पंचायत ने आमजनो की सुविधा के लिए स्टाप डेम के घाट पर पेयजल कुए पास मजबूत सीढ़िया बनवाई, तत्कालीन सरपंच ने घाट नाम रखा, रामघाट, जिसका उपयोग आज भी नगर जनता सुचारु रुप कर रही। नगर परिषद ने इसी स्टाप डेम पर तटबंध व सौंदर्यकरण के लिए लाखों रुपए खर्च किए, लाखों रुपए की राशि स्वीकृती पर नगर के जिम्मेदार खुद ही उस समय अपनी पीठ थप थपा रहे थे और फुला नहीं समा रहे थे, स्टाप डेम पर ठेकेदार के घटिया निर्माण के चलते पहली ही बारिश में नवनिर्मित तटबंध ताश के पत्तों तरह ढह गया, तटबंध पर आने जाने का रास्ता नही, जो लोगो के टहलने के लिए बनाया गया था। नगर की जनता का तटबंध पर टहलने के अरमान धरे के धरे रह गये। खुद की पीठ थप थपाने वाले जिम्मेदार अब इस पर बोलने से बच रहे हैं, विदित रहे कि नगर में ग्राम पंचायत भवन था, ग्राम पंचायत भवन का निर्माण सन 1967-68 में सरपंच ठाकुर साहब स्व. श्री गोविंद सिंह जी राणावत ने अपने कार्यकाल में व अपनी देख रेख में मजबूत बनवाया था। भवन नगर की धरोहर था,मजबूत ग्राम पंचायत भवन को नगर परिषद ने हजारों रुपए खर्च कर तुड़वाया,मजबूत भवन तोड़ने के लिए मजदूरों को कई दिन लगे व कई दिनो तक काफ़ी मशक्कत करना पड़ी और बमुश्किल से ग्राम पंचायत भवन टूटा, तब जाकर भवन,भूखण्ड में तब्दील हुआ, ग्राम पंचायत के समय के निर्माण कार्यों व नगर परिषद के समय निर्माण कार्यों में फर्क साफ नगर की जनता को दिखाई दे रहा है। स्टाप डेम पर घटिया निर्माण होने पर नगर परिषद ने वैसे ठेकेदार का बाकी का भुगतान तो रोक दिया था पर सूत्रों से पता चला है कि राजनीति के दबाव के चलते नगर परिषद को ठेकेदार का बाकी का भुगतान करना पड़ा पर सबसे दिलचस्प बात यह है कि स्टाप डेम नगर परिषद अध्यक्ष के वार्ड में ही है। जिसमे कितनी कोताही बरती गई, इस बात अंदाजा लगाया जा सकता है, कि जनता के गाढ़ी कमाई का पेशा किस तरह पानी में बहाया गया। किस तरह स्टाप डेम पर नव निर्माण भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा, यह सब नगर की जनता के सामने है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस मामले की जांचकर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए। जिससे आमजनता का शासकीय निर्माण कार्य के प्रति विश्वास बना रहे।
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